मौसम
जाने कैसा दीवाना मौसम हुआ है आज
नहीं रहा है मेरा मेरे दिल पर अब राज
उड़ना चाहता है यह उन्मुक्त आसमान में
देना चाहता है अपने पंखों को परवाज़
थामना चाहता है आज यह हाथ सूरज का
करना चाहता है अब यह चाँद तारों से बात
सुनना चाहता है इक अलग सी धुन कोई
छेड़ना चाहता है कोई इक नया ही साज
जाने कैसा दीवान मौसम हुआ है आज
नहीं रहा मेरा मेरे दिल पर अब राज ।
आभार आदरणीय
बहुत ख़ूबसूरत रचना !