कविता

मौसम

जाने कैसा दीवाना मौसम हुआ है आज
नहीं रहा है मेरा मेरे दिल पर अब राज

उड़ना चाहता है यह उन्मुक्त आसमान में
देना चाहता है अपने पंखों को परवाज़

थामना चाहता है आज यह हाथ सूरज का
करना चाहता है अब यह चाँद तारों से बात

सुनना चाहता है इक अलग सी धुन कोई
छेड़ना चाहता है कोई इक नया ही साज

जाने कैसा दीवान मौसम हुआ है आज
नहीं रहा मेरा मेरे दिल पर अब राज ।

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - priyavachhani26@gmail.com

2 thoughts on “मौसम

  • प्रिया वच्छानी

    आभार आदरणीय

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत ख़ूबसूरत रचना !

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