माँ
माँ क्या होती है ?
ये सबसे ज्यादा,
वहीं जानता है,
जिनके पास माँ,
नहीं होती हैं।
भगवान भी,
अजीबोग़रीब है।
किसी को माँ की,
ममता के पास रखता है,
तो किसी को दूर।
उस बच्चे का क्या,
कसूर ?
जिसके पैदा होते ही,
माँ मर गयी।
यही कसूर कि,
अपने नई दुनिया में,
कदम रखते ही,
माँ को विदा कर दिया।
हे! भगवान
उन बच्चों पर रहम कर,
जिन्हें माँ की,
ममता की,
माँ की गोद की,
उँगलियाँ पकड़कर,
चलने की।
माँ के आचल की,
बच्चे के जीवनपर्यंत,
काम आने वाले दूध की,
माँ की छत्रछाया में ,
पलने की जरूरत है।
——-रमेश कुमार सिंह ♌
माँ की ममता सबसे प्यारी सुन्दर चित्रण।
बहुत सुन्दर ! माँ का जितना गुणगान किया जाये कम है !
आपका आभार श्रीमान जी।
कविता अच्छी लगी . माँ की मम्मता को सभी जानते हैं लेकिन कुछ अभागे इस बात को समझ नहीं पाते और कुछ विचारे माँ को तरसते रहते हैं .
धन्यवाद श्रीमान जी आप भी ठीक है कह रहे हैं श्रीमान जी।