मॉ की महिमा निराली
मॉ की महिमा निराली होती है। नवरात्र में हर तरफ उन्ही की धूम है। पूरा देश इस समय पूजा में व्यस्त है, सभी किसी न किसी तरह से मॉ को खुश करने में लगे हुए है पर अफसोस की बात यही है कि जिसकी पूजा आज सारा संसार कर रहा है उसकी अस्मत की रक्षा कोई नहीं कर पाता है। यही बिडम्बना है कि जिस मॉ ने हमें जन्म दिया उसकी रक्षा हम नहीं कर पाते है। मॉ का नाता जन्म से नहीं सासों से होता है फिर भी कोई नहीं समझ पाता है, जो मॉ को समझने का दावा करते है क्या वो मॉ की हर बात को समझ पाते है उसकी त्याग, तपस्या, बलिदान, तप यह सोचनीय विषय है मॉ को कोई नही समझ सका है। मॉ एक अहसास है, पर कोई नही जानता । मॉ शब्द से हर कोई जुडा हुया है, खुद गीले में सोकर हमें सूखे में सुलाती है।
आज जो हो रहा है वो कितना बुरा हो रहा है, मॉ की इज्जत को तार-तार किया जा रहा है जिस मॉ ने हमें जन्म दिया उसकी स्थिति खराब कर रहे है। क्या किसी ने सोचा कि अगर लडकी न हो तो क्या मॉ मिल पायेगी। मॉ के हाथ का खाना खाकर उसके गोद में सर रखकर साने का आनंद ही कुछ अलग है। बच्चे को समाज में एक मुकाम पर पहुचाती है
मॉ महान होती है।
मॉ तेरे अनेको नाम
तूझे करुू मै प्रणाम,
सब दुख सहती कुछ न कहती
तुझ से शुरु होती मेरी पहचान,
तू करुणा का सागर है,
तू ही है गीता कुरान
तुझ में है रब की शान,
तुमने हमको चलना सिखाया
इस संसार से लडना सिखाया,
तेरे गुण गाये सुबह शाम
मॉ तुझे प्रणाम।
— गरिमा पांडेय
यही तो दुःख की बात है कि आज यहाँ औरत उन्ती की ऊंचाई को छू रही है वहां कुछ लोग जो नीची सोच के मालिक हैं और को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं . यह भ्रूण हत्या , बलात्कार और सकूल कालिजों और दफ्तरों में औरत के साथ बदसलूकी नीचता की हद्दों को पार कर रही है. अब औरत को खुद ही कुछ करना होगा .
अच्छी कविता, गरिमा बेटी !