कतार
हर जगह कतार है,
फ़ोन भी बोलता है
आप कतार में है,
कब खतम होगी,
ये कतार पता नहीं
लोग बढ़ते जा रहे है
हर तरफ मारामारी है
सबको जल्दी है,
कतार से बहार आने की
पर क्या करे कतार
इतनी लम्बी है,
और बढती जा रही है,
चाहे वो डॉक्टर के यहाँ हो
या हो रेलवे में
अब तो नौकरी में भी
कतार है
लोग इंतजार कर रहे है
अपने नंबर का
कब आएगी पता नहीं
कतार कब होगी खतम कहना
मुश्किल है
— गरिमा पाण्डेय
अच्छी कविता !