पाकिस्तान का गणतंत्र
खबर है कि पाकिस्तान में सात साल बाद गणतंत्र दिवस की परेड हुई, जिसमें सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया गया । चीन के द्वारा अयोग्य किये गये और पाकिस्तान में डम्प किये गये हथियारों को इसमें बड़ी शान से ऐसे प्रदर्शित किया गया मानो वे उसी देशें बने हों। इस सैन्य प्रदर्शन को आधार बना कर जनाब मियाँ नवाज़ शरीफ ने एलान किया कि पाकिस्तान हर सूरत अपने मुल्क की रक्षा करेगा।
इस प्रकरण पर ज़हन में कुछ प्रश्न उठने लाज़मी हैं। मसलन ये कि सात साल बाद ऐसे आयोजन की ज़रूरत क्यों पड़ी? पहले ऐसा क्यों नहीं किया गया? पाकिस्तान ऐसे देश को किससे खतरा है जो उसकी सुरक्षा की बात उठी? जिन से खतरा होना चाहिये वो तो उसी की देन हैं, तो क्या भस्मासुर की कथा दोहराई जाने का डर है ?
जिस देश में अक्सर तानाशाही हो वहाँ गणतंत्र एक दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है, वो भी तब जब सैनिक हुक्मरानों ने इसकी इजाज़त दे दी हो। रही बात सुरक्षा की तो पाकिस्तान को अपने आप से ही बचना है। किसी दूसरे मुल्क को क्या पड़ी है भूखे-नंगे, आतंकवादियों के सताए और कुदरती कहर के मारे देश पर नज़र करने की। कोई बेवकूफ ही होगा जो इस आफत को मोल लेना चाहेगा।
जंग लगे और उधार के हथियारों का प्रदर्शन करने से पाकिस्तान ने अपनी शक्ति का नहीं कमजोरी का ही प्रदर्शन किया है. ऐसा भारत की नक़ल में किया गया है. यानी कौआ चला हंस की चाल !
सार्क देशों पर परभाव बनाने के लिए ही है, और कुछ नहीं लेकिन वोह इतने मुर्ख नहीं .