सपनों में रिश्ते बुनते देखा
सपनों में रिश्ते बुनते देखा
जब आँख खुली तो
कुछ ना था;
आँखों को हाथों से
मलकर देखा
कुछ ना दिखा;
ख़्वाब था शायद ख़्वाब ही होगा।
सपनों में रिश्ते बुनते देखा॥
जब ना यकीं
हुआ आँखों को
धाव कुरेदा
ख़ूँ बहा कर देखा;
बहते ख़ूँ से
दिल पर
मरहम लगा कर देखा;
धाव था शायद धाव ही होगा।
सपनों में रिश्ते बुनते देखा॥
बहुत खूब.
धन्यवाद आपको
वाह !
धन्यवाद