कविता

सपनों में रिश्ते बुनते देखा

सपनों में रिश्ते बुनते देखा

जब आँख खुली तो

कुछ ना था;

आँखों को हाथों से

मलकर देखा

कुछ ना दिखा;

ख़्वाब था शायद ख़्वाब ही होगा।

सपनों में रिश्ते बुनते देखा॥

जब ना यकीं

हुआ आँखों को

धाव कुरेदा

ख़ूँ बहा कर देखा;

बहते ख़ूँ से

दिल पर

मरहम लगा कर देखा;

धाव था शायद धाव ही होगा।

सपनों में रिश्ते बुनते देखा

© राजीव उपाध्याय

राजीव उपाध्याय

नाम: राजीव उपाध्याय जन्म: 29 जून 1985 जन्म स्थान: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश पिता: श्री प्रभुनाथ उपाध्याय माता: स्व. मैनावती देवी शिक्षा: एम बी ए, पी एच डी (अध्ययनरत) लेखन: साहित्य एवं अर्थशास्त्र संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in

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