गीत- बीते दिन फिर लौट रहे हैं…
बीते दिन फिर लौट रहे हैं लेकर मीठी-मीठी यादें.
इन यादों में क्या-क्या है वो आओ तुमको आज बता दें.
मेरे पास तुम्हारा आना
फिर घंटों-घंटों बतियाना.
और हमारी बातचीत को
मुस्काकर “सत्संग” बताना.
वो प्यारा सत्संग हमारा बोलो क्या हम उसे भुला दें.
बीते दिन फिर लौट रहे हैं लेकर मीठी-मीठी यादें.
कोई पल अपना होता है
कोई पल सपना होता है.
कोई पल ऐसा भी होता
जिसमें बस तपना होता है.
आओ सारे पल समेटकर नये ढंग से उन्हें सजा दें.
बीते दिन फिर लौट रहे हैं लेकर मीठी-मीठी यादें.
वे दिन जैसे चाँदी-सोना
वे दिन जैसे जादू-टोना.
सोते-जगते हरपल केवल
इक-दूजे में खुद को खोना.
फिर वैसा ही साथ निभाकर वे सारे पल फिर दुहरा दें.
बीते दिन फिर लौट रहे हैं लेकर मीठी-मीठी यादें.
— डाॅ. कमलेश द्विवेदी, मो.09415474674