उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 54)

49. भावी सम्राट की भूमिका

‘सुल्ताना देवल, आपको हासिल करके हमें बहुत खुशी मिली है।’ मुबारक शाह देवलदेवी के रूखसारों पर उँगुली घुमाते हुए बोला। मुबारक शाह खिलजी इस वक्त शाही हरम में था, उसने आज ही अपने भाई खिज्र खाँ का वध होने के बाद देवलदेवी से निकाह किया था, जिसे देवलदेवी ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी।

”सुल्ताने आला, आज हमें अपने नसीब पर फख्र हो रहा है जो आपने हमें अपनी बेगम बनाकर हिंद की सुल्ताना बनाया, हम तो आपकी जर्रानवाजी कहाँ तक शुक्रिया अदा करें। सच तो यह है सुल्ताने आला आज हम खुशी से नाच रहे हैं।“ इतना कहकर देवलदेवी ने नृत्य का अभिनय किया।

देवलदेवी को नृत्यमुद्रा में देखकर सुल्तान मुबारक उन्हें आलिंगन बद्ध करना चाहता है पर वह छिटककर दूर हो जाती है। मुबारक फिर आगे बढ़ता है, इस बार देवलदेवी विरोध नहीं करती है। वह आँख उठाकर सुल्तान के चेहरे की ओर देखकर बोली, ”सुल्ताने आला, अब तो हम आपकी बेगम हैं, पर अभी सल्तनत की नींव मजबूत नहीं हुई है, आपको उस पर ध्यान देने की जरूरत है।“

”कैसे सुल्ताना?“

”सल्तनत के वफादारों के खिलाफ हो रही साजिशों को नाकाम करके। सल्तनत और सुल्तान के पास वैसे ही बहुत कम वफादार हैं, उनकी हिफाजत करना सुल्तान का फर्ज है।“

”मैं समझा नहीं सुल्ताना?“ मुबारकशाह अपना सिर के बाल खुजाते हुए बोला।

”सल्तनत के वजीर खुशरवशाह ने सल्तनत का विस्तार मदुरा तक कर दिया है वह हर वक्त सुल्तान के वफादार रहे हैं। दक्खन से लूटी माल-दौलत के साथ वह दिल्ली सल्तनत का खजाना भर देंगे। वैसे ही गुजरात के सूबेदार हिमासुद्दीन ने वहाँ का बंदोबश्त भली-भांति किया है। पर दरबार में अमीर उन दोनों वफादारों के खिलाफ कुचक्र चला रहे हैं, साजिशें बना रहे हैं। सुल्तान को खबरदार रहने की जरूरत है।“

”हमें खुशरवशाह और हिमासुद्दीन की वफादारी पर कोई शक नहीं। हम जल्द ही साजिश करने वालों को सजा देंगे।“ मुबारक शाह देवलदेवी की केशराशि को सहलाते हुए बोला और उस घड़ी देवलदेवी के अधरों पर विजयी मुस्कान खेल गई।

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल [email protected] blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963