सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
नमाज़े छोड़ सूफ़ी बनने चली,
राजनीति नेताओं के बंधन तोड़ चली,
नेताओं की भी चालें कुछ अदली कुछ बदली,
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
जेबें नेता भरके, गंगा स्नान चले,
हो मलीन, करने मलीन हरिद्वार धाम चले,
हरि के गुण कभी भजे नहीं,
घिस गई हृदय-तली,
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
घर रईस खुद भी रईस है,
मन काला सफेद कमीज़ है,
फिर ये बड़े बद्तमीज़ है,
कुर्सी इनकी बहुत अज़ीज़ है,
मुंह में पान, लाल है बत्ती,
इनकी कभी न दाल गली..
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
वाह वाह ! बहुत ख़ूब !!
धन्यवाद बड़े भाई!
बहुत खूब , करारा विअंग .
धन्यवाद!