कविताहास्य व्यंग्य

सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!

नमाज़े छोड़ सूफ़ी बनने चली,
राजनीति नेताओं के बंधन तोड़ चली,
नेताओं की भी चालें कुछ अदली कुछ बदली,
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
जेबें नेता भरके, गंगा स्नान चले,
हो मलीन, करने मलीन हरिद्वार धाम चले,
हरि के गुण कभी भजे नहीं,
घिस गई हृदय-तली,
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!
घर रईस खुद भी रईस है,
मन काला सफेद कमीज़ है,
फिर ये बड़े बद्तमीज़ है,
कुर्सी इनकी बहुत अज़ीज़ है,
मुंह में पान, लाल है बत्ती,
इनकी कभी न दाल गली..
सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

4 thoughts on “सौ चूहे खा बिल्ली हज़ को चली..!!

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत ख़ूब !!

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद बड़े भाई!

  • बहुत खूब , करारा विअंग .

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद!

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