क्षणिकायें
१-दोस्ती
धीरे धीरे
गहरी होती है दोस्ती
सीप के भीतर
बरसों रहने के बाद ही
एक बून्द
बनती है मोती
२-चेहरा
एक चेहरा तेरा मुझे याद रहता है हमेशा सलोना
जिसे मेरी स्मृति नहीं चाहती है कभी भी खोना
३-ख्याल
रूबरू मिलने से होता नहीं फायदा
एक दूसरे के ख्याल यदि मिल जाएँ
तो जीने में मजा आता है ज्यादा
४–हक़
मुझ पर तेरा है हक़
इसीलिए तो मेरा मन
तेरी और जाता है बहक
५-याद
जागते हुऐ वो हमें हमेशा भूल जाते हैं
ख्वाब में जिन्हे हम याद खूब आते हैं
किशोर कुमार खोरेन्द्र
बहुत ख़ूब ! बढ़िया क्षणिकायें!
thank u vijay ji