कविता

हॉट सीन

कल शाम टहलते हुए
अचानक कान में,
कुछ शब्द पड़े
“क्या हॉट सीन  है यार “,
तुरंत मुड़के देखा
कुछ आवारा लड़के,
पोस्टर पर  छपी
अधनंगी लड़की को देख
चुहलबाज़ी कर रहे थे,
उनके चेहरे के भाव
उनके इशारों से मेल खा रहे थे,
एक अजीब सी वितृष्णा ने
मन को घेर लिया,
विचारों के उपामोह में
फंसी मैं बेसबब चलती गयी,
अचानक मुझे भी
एक हॉट सीन  याद आने लगा,
जो मैंने जेठ की तपती
दुपहरी  में देखा  था,
आसमान से आग
शोले जैसी बरस रही थी,
सड़क किनारे एक जवान औरत
हथौड़े की चोट से ईंट तोड़ रही थी,
उस धमक में था एक गुस्सा
बेबसी और लाचारी,
पसीने से भीगा उसका ब्लाउज
कंधे से गिरता उसका पल्लू,
जिसे संभालने का  वो
अनथक प्रयास कर रही थी,
चुचुहाते पसीने से नहाया
उसका जिस्म तपते लोहे सा
चमक रहा था,
पास ही बैठी दूसरी औरत
आँचल की छाँव किये,
अपने दो साल के बच्चे को
सूखी छाती से दूध पिला रही थी,
बच्चे के हाथों से उघड़ती
उसकी छाती,
पास ही बैठे ठेकेदार की
गिद्ध निगाह से बच नहीं  रही थी,
अपनी पिपासा को बेशर्मो  की तरह
खींसे निपोरता भूखे भेड़िये की तरह
सहला रहा था,
शायद मन ही मन कह रहा हो
“क्या हॉट सीन  है यार “!!!!!!!!
पेट की आग बुझाने को
उस गरम दोपहर में
 भट्टी  सी तपती औरत,
या  पैसे की प्यास बुझाने
को जिस्म नुमाइश करती
पोस्टर पर  चिपकी औरत,
 दोनों ही सूरतों में
 “हॉट सीन” बन जाती हैं
देखने वालों के लिए।
— प्रीति दक्ष 

प्रीति दक्ष

नाम : प्रीति दक्ष , प्रकाशित काव्य संग्रह : " कुछ तेरी कुछ मेरी ", " ज़िंदगीनामा " परिचय : ज़िन्दगी ने कई इम्तेहान लिए मेरे पर मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और आगे बढ़ती गयी। भगवान को मानती हूँ कर्म पर विश्वास करती हूँ। रंगमंच और लेखनी ने मेरा साथ ना छोड़ा। बेटी को अच्छे संस्कार दिए आज उस पर नाज़ है। माता पिता का सहयोग मिला उनकी लम्बी आयु की कामना करते हुए उन्हें नमन करती हूँ। मैंने अपने नाम को सार्थक किया और ज़िन्दगी से हमेशा प्रेम किया।

10 thoughts on “हॉट सीन

  • Man Mohan Kumar Arya

    गरीब माताओं की बेबसी और बिगड़ैल विकृत मानसिकता पर चोट करती यह कविता बहुत प्रशंसनीय है। हार्दिक धन्यवाद।

    • प्रीति दक्ष

      behad shukriya man mohan ji.. aabahar kavita pasand karne ke liye..

    • प्रीति दक्ष

      shukriya madan mohan ji

    • प्रीति दक्ष

      bahot dhanywaad aapka ..

    • प्रीति दक्ष

      dhaynywaad ramesh kumar ji

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक कविता !

    • प्रीति दक्ष

      shukriya Vijay ji..

    • प्रीति दक्ष

      shukriya vijay ji

Comments are closed.