माँ मेरा मन
माँ मेरा मन चाहता है
सौन्दर्य सृष्टि का देखना
आने दो इस जग में मुझको
खुशियाँ दूंगी मैं भी तुझको
मत मारना अजन्मे ही मुझे
कूड़े की ढेर पर मत फेंकना
माँ मेरा मन………………….
बेटा ही यदि सब चाहेंगे
तो बहू कहां से लाओगी तुम
जब अकेले बैठोगी थककर
फिर किससे बतियाओगी तुम
मुझे खाक कर राख पर तुम
कभी रोटियां मत सेकना
माँ मेरा मन………………….
मैं भी करूंगी रौशन तेरा घर
कुलदीपिका ज्योति बन कर
बनूंगी लाठी मैं बुढ़ापे का
मुझपर तू विश्वास तो कर
छोड़ कर कुरीतियों को
अब जगा लो चेतना
माँ मेरा मन…………………..
© Kiran singh
मार्मिक कविता !
हार्दिक आभार