सितारे टाँक श्रद्धा की चुनर मैंने बनाई है सभी भावों के सुमनो से ग़ज़ल माला सजाई है पखारे पाँव मेरे अश्रु माँ मैं क्या करूँ अर्पण सुता ये दर तुम्हारे खुद ही खाली हाथ आई है कहा मैंने हमेशा सच, लिखा मैंने हमेशा सच सभी सच भावनाओं को, ये मालन गूँथ लाई है हुई […]
Author: *किरण सिंह
अपशगुन
श्वेता की हथेली पर शगुन की मेंहदी लगाते हुए माधुरी के स्मृति पटल पर अपनी सीता भाभी की बातें खूबसूरत चलचित्र की तरह उसके मन को अपनी तरफ़ खींच ले गईं जब माधुरी के मेंहदी के दिन उसकी दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ते हुए रेखाओं से अर्ध चाँद बने देखकर कहा था – […]
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य अरे – अरे यह मैं कहाँ आ गई? अपनी हमउम्र श्याम वर्णा तराशे हुए नैन नक्श वाली साध्वी को अपनी खाट के बगल में काठ की कुर्सी पर बैठे हुए देखकर मीना कुछ घबराई हुई सी उससे पूछ बैठी। साध्वी वृक्ष के तना के समान अपनी खुरदुरी हथेली उसके सर पर फेरती […]
तुम इन फूलों जैसी हो
अनिता ससुराल में कदम रखते ही अपने व्यवहार से परिवार के सभी सदस्यों के दिलों पर राज करने लगी थी। इसलिए उसके दाम्पत्य की नींव और भी मजबूत होने लगी। अजय की आमदनी काफी अच्छी थी और परिवार में सिर्फ वही कमाऊ था तो परिवार की अपेक्षाएं उससे काफी थी। जिसे वह पूरी इमानदारी और […]
नजरिया
शहर में पली बढ़ी दीपिका जब गाँव में दुल्हन बनकर आई थी तो बिल्कुल अलग से माहौल में ढलना उसके लिए थोड़ा कठिन तो था ही लेकिन वह सोची चलो कुछ दिनों की तो बात है जैसे अबतक स्कूल काॅलेज में मंच पर नाटक करके या फिर फैंसी ड्रेस कम्पिटीशन में जीत हासिल कर प्राइज़ […]
किरण सिंह रचित पुस्तकों ‘रहस्य’ व ‘अन्तर्ध्वनि’ का लोकार्पण
पटना/कार्यालय संवाददाता। हिन्दी की लेखिका व उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कई सम्मान से सम्मानित किरण सिंह की रचित पुस्तक ‘रहस्य’ व ‘ अन्तर्ध्वनि’ का लोकार्पण राजधानी चाणक्या होटल के सभागार में हुआ। इस मौके पर लोकार्पणकर्ता व मुख्य अतिथि देश की प्रख्यात लेखिका पद्मश्री उषा किरण खान ने कहा कि साहित्य हर व्यक्ति के […]
झूठी हों गर दुआएँ
झूठी हों गर दुआएँ झूठी हो गर दुआएँ तो फलतीं नहीं , पानी खारा हो तो दाल गलती नहीं | तिल्लियाँ लाख माचिस की रगड़ो मगर, हो नमी गर फिजाओं में जलती नहीं। आह निकले भी तो कैसे किस जख्म पर, दिल में जख्मों का जब कोई गिनती नहीं | जल रहीं बस्तियाँ उठ रहा […]
मंगलसूत्र
जो दीप्ति हमेशा सुहाग चिन्हों का मजाक उड़ाने में जरा भी संकोच नहीं करती थी आज अचानक करवा चौथ के दिन छत पर चाँद को अर्घ्य देते हुए अपनी सहेली कामिनी के सोलह श्रृंगार से सजे हुए रूप लावण्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी ! जब कामिनी हाथ में चलनी लेकर अपने चाँद को […]
मम्मी
माँ ********** मेरे मुख की हर भावों को कैसे तुम पढ़ लेती हो | जो मैं चाहूँ बिन बोले ही तुम पूरी कर देती हो | जादूगरनी हो मम्मी या तुम हो परियों की रानी, तूफानों में घर की नैया बोलो कैसे खेती हो || मुझे पढ़ाती मुझे लिखाती सपने नये दिखाती हो | थक […]
मौत के सामने थी खड़ी जिंदगी।
आँखों के आँसुओं को छुपाती रही। लोगों के सामने मुस्कुराती रही । डर रही थी कि कल फिर से हो या न हो, फिर भी जीवन के सपने सजाती रही। रात के बाद ही आती है हर सुबह। मन को धीरज ये कहकर बंधाती रही। काँपते थे अधर मेरे कहने से कुछ। फिर भी लिख […]