मुक्तक
किसी को समर्पित —
आप अपने लेखनी को मत छोड़ियेगा।
हौसले के उड़ान को नहीं तोड़ियेगा।
यह मिला हुआ गुण ईश्वरीय वरदान है ,
इस दुनिया में लावारिस मत छोड़ियेगा।
पढने की बात रही सो पढा कीजिएगा,
पढने के जरिये ही लेखन कीजिएगा।
ज्ञानोदय में इसका भी अहम स्थान है,
जिन्दगी के हिस्से में जगह दीजिएगा।
——–रमेश कुमार सिंह
बढ़िया।
बढ़िया मुक्तक !
आभार श्रीमान जी।