कविता : इन्सान
क्यों टूटते हैं रिश्ते ,
पतझड. के पतों के समान,
क्यों नहीं समझ पाता,
आज इन्सान को इन्सान !
पैदा हुआ है इन्सान,
प्यार बांटने के लिए,
फिर ये नफरत फैलाना,
कहां से सीख गया इन्सान ?
हर कोई चूर है यहां,
अपने ही अभिमान में,
कोई मुझे बताए आकर,
कहां खो गया है इन्सान ?
इन्सान को दिल दिया,
ताकि समझ सके,
वो दर्द दुसरे का,
दिमाग दिया इन्सान को,
ताकि स्वर्ग बना दे इसी धरा को
जो उठे इन्सान तो देवता बन जाए,
और गिरे तो दानव को भी पीछे छोड़ जाए !
भगवान ने रचा प्रकृति को,
बनाए चांद तारे सूरज और आसमान,
फिर बनाई उसने अपनी सर्वोतम रचना,
दी उसने सज्ञां उसको इन्सान,
पछता रहा होगा भगवान भी देखकर,
आखिर क्यों पैदा कर दिया उसने इन्सान ?
– मनोज चौहान
अच्छी रचना !
धन्यवाद सर ….!