कल होगा फिर उजियारा (कुकुभ छंद)
कूद रहा हूँ , गिर न पडूँ मैं , मुझे पकड़ना पापाजी
ऊपर से मैं कूद रहा हूँ मुझे लपकना पापाजी |
डरने की कुछ बात नहीं है,इतना बल है बाहों में
राज दुलारा है तू मेरा, आ जा अभी पनाहों में ||
सूरज सा मन आज खिला है, देख होंसला ये तेरा
नाज मुझे है बेटा तुझपर, ताकतवर बेटा मेरा |
देख सुहाना मौसम है यह, रुत भी आई मस्तानी
अश्क छलकते है नयनों से, है ये खुशियों का पानी ||
मस्ती में तू झूम रहा है, लगता है सबको प्यारा
अम्मा का इकलौता बेटा, उसकी आँखों का तारा |
घिर घिर आते है अब बादल, होने को है अँधियारा
करों न अब यूँ और तमाशा, कल होगा फिर उजियारा | |
— लक्ष्मण रामानुज लडीवाला, जयपुर
अच्छे छंद !