ताजमहल
उस प्यार के नज़राने काे देखने
लाेग दूर दूर से जाते हैं
हर काेई अपनी महबूबा काे
ऐसा ही ताज बनाने का
अश्वासन भी देते हैं.
लेकिन सदियां गुज़र गई
न हुआ काेई शाहजहाँ
और न बनाया किसने वैसा ताज
इसका अर्थ यह नहीं है कि
आज दुनिया में प्यार नहीं है
दुनिया ताे आज भी
प्यार की दिवानी है याराे
बस उसमें एक
मुमताज की कमी है.
हा हा हा बढ़िया ! लैला मजनुओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन सच्चा प्यार दुर्लभ है.
बहुत खूब .