तुम हो अजनबी…
मिला नहीं हूँ तुमसे कभी
फिर भी लगाव सा हो गया है
यही तो है जिंदगी
पसंद आते नहीं सभी
कोई कोई ही तो मन को भाता है
जिसकी रूह करना चाहती है बंदगी
पता नहीं इसका क्या कारण है
क्या तुम बतला पाओगे अभी
क्यों कोई अच्छा लगने लगता है
अचानक…….
चेहरे से हो या आचरण से
इस जहाँ में इसे ही कहते है दोस्ती
अन्य सारे संबंध इस रिश्ते के सम्मुख
छोटे हैं
अत्यंत मुलायम और स्निग्ध है
यही है इस नाते में खूबी
तुम हो अजनबी
मिला नहीं हूँ तुमसे कभी
फिर भी लगाव सा हो गया है
यही तो है जिंदगी
— किशोर कुमार खोरेन्द्र
बढ़िया !
dhnyvad vijay ji