कविता

तुम हो अजनबी…

तुम हो अजनबी

मिला नहीं हूँ तुमसे कभी

फिर भी लगाव सा हो गया है

यही तो है जिंदगी

पसंद आते नहीं सभी

कोई कोई ही तो मन को भाता है

जिसकी रूह करना चाहती है बंदगी

पता नहीं इसका क्या कारण है

क्या तुम बतला पाओगे अभी

क्यों कोई अच्छा लगने लगता है

अचानक…….

चेहरे से हो या आचरण से

इस जहाँ में इसे ही कहते है दोस्ती

अन्य सारे संबंध इस रिश्ते के सम्मुख

छोटे हैं

अत्यंत मुलायम और स्निग्ध है

यही है इस नाते में खूबी

तुम हो अजनबी

मिला नहीं हूँ तुमसे कभी

फिर भी लगाव सा हो गया है

यही तो है जिंदगी

— किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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