क्षणिका

क्षणिकायें

१-इंतज़ार

हम रुके रहे तेरे इंतज़ार में
सदियाँ बीत गयी
पता ही नहीं चला

२-हुस्न

हुस्न पर इतना भी न किया करो ऐतबार
बिना खता किये बन जाओगे गुनाहगार

3-तुम”

तुम्हें देखने से मुझे अब कौन रोक पायेगा
मेरे ख्याल में मेरे ख़्वाब में तुम जो आते हो

4-सौंदर्य का वर्णन…

तराशा हुआ है तेरा बदन

मुखरित से हैं तेरे नयन

तीखे नाक नक्श में है

तीव्र आकर्षण

एक कवि तेरे रूप पर मुग्ध हो

करना चाहे

तेर अनुपम सौंदर्य का वर्णन

 

5-पाठक..

कुछ लोग होते हैं

इस जहां में सच्चे पाठक

जिनकी सकारात्मक प्रतिक्रिआओं

के फलस्वरूप

एक लेखक बन पाता है

शब्दों का अच्छा साधक

 

6-बहार.

तेरे आते ही

महफ़िल में आ गयी बहार

इस बज्म को तेरा ही था इंतज़ार

 

7- टीस

मेरी आँखों में है उनकी तस्वीर

ह्रदय में है उनसे

कभी न मिल पाने की टीस

 

8-सैयाद…

रखता हूँ तुम्हें मैं याद

मन के पिंजरे में कैद हो

मैं हूँ सैयाद

 

9-वक्त…

उसने कहा –

अभी नहीं

आज नहीं

कल नहीं

परसों भी नहीं

मुझसे मिलने के लिए

मैंने सोचा

इस जन्म में

उसके पास वक्त है ही नहीं

kishor kumar khorendra

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “क्षणिकायें

  • खोरेंदर भाई , क्षणिकाएं अच्छी लगी .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिकाएं !

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