जब तुम मिली
जब तुम मिली मुझे ऐसा लगा।
जमाने की सारी खुशी मिल गई।
जब तुम मिली,तब मैं ऐसा समझा।
जिन्दगी में खुशियों की बहार आ गई।
जब तुम मिली मुझे महसूस हुआ।
तरसते लबों को हँसीं मिल गई।
जब तुम मिली तो मैं अन्दाज़ लगाया।
सफर में उड़ने के लिए पंख जुड़ गई।
————–रमेश कुमार सिंह ♌
–
ठीक है ! हालाँकि सुधार की बहुत गुंजायश है.
ठीक है श्रीमान जी देखता हूँ।