भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार का तो अंत ही न दिखता ,
जहां देखो वहाँ मूहँ फाड़े खड़ा,
मैंने भी आज वही देखा ,
बीच बाजार में खड़ा हुआ |
किसी की नजर ही न पड़ती ,
पड़ती भी तो झुक जाती ,
आखिर क्या है इसमें वो ,
सामने देखे पर कोई न बोलें |
आखिर अब समझ में आई ,
भ्रष्टाचार कोई और नहीं ,
ये तो हम और आप हैं ,
जो इसे सह देकर बढ़ा रहे हैं…
अच्छा है
बढ़िया !
dhanybad sriman ji