कुछ दोहे लिखने का प्रयास
आसमान को देखकर , बेटी भरे उड़ान
माँ के दिल में हो रही , आशंका बलवान ।।
रिझा रहा हिय भ्रमर का , चटक कली श्रृंगार
इत उत डोलत फिरत है , सुनत प्रेम मनुहार ।।
डाल-डाल है सज रही , कर सोलह श्रृंगार
पुहुप जाए लजियात है , देख मधुप का प्यार ।।
बहका गयी है बयार , महका तन और मन
आई पिया के देश से, तृप्त हुआ अंतर्मन ।।
बैठ धूप मुंडेर पर , राह देखती छाँव ।
फैशन के इस दौर में , शहरी हो गए गाँव ।।
vaahhhhhhhh
achhe lage yah dohe .
अच्छे दोहे !