ग़ज़ल : तेरे प्यार में….
तेरे प्यार में निरंतर यादों के दीये सा जल रहा हूँ
तेरे प्यार में सदा इंतज़ार के मोम सा पिघल रहा हूँ
पहली ही मुलाकात में कह देना था तुमसे सब कुछ
इजहारे इश्क़ के अभाव में हाथ अपने मल रहा हूँ
प्रत्येक आईने में अब तेरी ही सूरत नज़र आती है
तुम्हारे मौन इशारों के मुताबिक अब मैं ढल रहा हूँ
तेरे ख्यालों में डूबा हुआ क्षितिज तक आ गया हूँ
तुम्हें पता ही नहीं कि प्रेम में कितना बदल रहा हूँ
जगमगाते चाँद सितारें हों ,या सुनहरी धूप हो
तेरे ही रुख का नूर समझ संग उनके चल रहा हूँ
किशोर कुमार खोरेन्द्र