बदलते भाव
“मर गया नालायक! देख, कितना खून पिया था। उड़ भी नहीं पाया, जबकि खतरा महसूस कर लिया होगा जरूर ही इसने|”
“अरे मम्मी, आप दुखी नहीं है अपना ही खून देख?”
“नहीं, क्योंकि मेरा खून आज इसका हो गया था।”
“आप भी न, उस दिन उँगली कटने से आपका एक बूँद खून बह गया था तो आपके आँसू ही नहीं रुक रहे थे। और आज एक बूँद अपना खून देखकर आप खुश है| आपकी लीला आप ही जानें।”
”जब कुछ मेरा है तो बस मेरा ही होता है, तब उसके नष्ट हो जाने पर कष्ट होता है। पर मेरा होकर भी जो मेरा न रहे, तब उसके नष्ट हो जाने पर मन को संतुष्टि होती है। समझा?”
“बस मम्मी, आप और आपके ये लॉजिक, बस। लेक्चर देने के ही फ़िराक में रहती हैं आप।”
— सविता मिश्रा
बढ़िया लघु कथा !