आईना बोलता है : आतंकवादी साहब !
मसरर्त आलम की गिरफ्तारी पर माननीय दिग्विजय सिंह ‘साहब’ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “मसरर्त आलम ‘साहब’ और गिलानी ‘साहब’ तो सरकार के……..” । इस वक्तव्य से हमारे नेताओं की राजनीतिक सोच का पता चलता है।
सुनते आये थे की कभी लखनऊ में शराफत की इंतिहा थी । लोग गाली भी आप कह कर देते थे, जैसे ‘परले दर्जे के ……..हैं आप’। पर दिग्विजय सिंह ‘साहब’ तो लखनऊ के नहीं हैं, फिर इन देशद्रोहियों के लिये ये सम्मान सूचक शब्दावली क्यों ? क्या यही वजह नहीं है कि प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की कमजोर राजनीतिक मंशा के चलते इस तरह के तमाम काॅकरोच देश में स्वच्छन्द घूम रहे हैं और यदाकदा अपनी विनाशकारी सोच से हम सरीखे आम आदमी को त्रास देते रहते हैं ? और क्या बात है कि हमारे नेता कभी भी इनके निशाने पर नहीं होते?
हमारी पुलिस का तो कहना ही क्या। वो तो, लगता है, वी आई पी सुरक्षा के अलावा और कुछ जानती ही नहीं। एक छोटे मोटे चोर उचक्के का तो इनकाउन्टर करने में उसे देर नहीं लगती पर इन देशद्रोहियों को ए क्लास जेल में बन्द करके बिरयानी खिलाती है। होना तो यह चाहिये कि ऐसे जितने भी लोग हैं, जो पाकिस्तान को अपना मुल्क मानते हैं, उन्हें सीमा पार खदेड़ देना चाहिये, वो भी नंगे पैर और सिर्फ अंडरवियर में, क्योंकि उनका सारा सामान तो इसी देश का है। पर ऐसा हो नहीं सकता। जब मुफ्ती ‘साहब’ खुद ही अपनी जान माल को बचाये रखने के लिये मसरर्त आलम ‘साहब’ जैसों को हफ्ता दे रहे हों तो आवाम को कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिये । हाँ, उनकी बिरयानी के लिये आप टैक्स देते रहिये। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मसरर्त आलम ‘साहब’ पर देशद्रोह का नहीं, तोड़-फोड़ का मुकदमा दर्ज किया गया है। हो सकता है कि देश को तोड़ना-फोड़ना और आम तोड़-फोड़ एक ही बात हो, मैं विश्वास से नहीं कह सकता क्योंकि मुझे भारतीय दण्ड संहिता का इतना अच्छा ज्ञान नहीं है ।
दिग्विजय जैसे नेता देश पर कलंक हैं. अभी इसने आतंकवादी सरगना लादेन को भी ‘साहब’ कहकर आदर दिया था. यह किसी देशद्रोह से कम नहीं है. दुर्भाग्य से हमारे संविधान में ऐसे देशद्रोह के लिए कोई सजा तय नहीं है.
मित्र, जब देशद्रोहियों पर ही देशद्रोह का मुकदमा नहीं दर्ज किया जाता है तो फिर और क्या बाकी रह जाता है।