दिल छू ले मंजिल
मेरे दिल यूं न टूट के बिखर जा
माना कि क़ई बार मैंने हार को पाया
पर ये दिल यूं ना खो हौंसला
फिर से आगे बढ़ने का जोश जगा जा
वक्त को भी थाम ले
हर काम को अंजाम दे
मिलेगी मंजिल हमें
जरा धैर्य से तू काम ले
खुद पे जरा तू कर यकीन
उम्मीद का दीप न कर मद्धिम
कदम राह खुद ढूंढ़ लेंगे
हम पायेंगे मंजिल एक दिन
तकदीर-भाग्य-नसीब हमें कितने दिन सतायेंगे
मेहनत की तलवार से सबको कदमों में लायेंगे
मेरे दिल यूं ना…
हम वंशज हैं कर्मवीर के
न रोते हैं तकदीर पे
तूफां भी हमसे डरते हैं
हम लड़ते हैं हर पीर से
ये तो ट्रेलर है गम का
पूरा सीन बाकी है फिलम का
अभी से तू घबरा गया
तो क्या होगा जीवन का
गम के बादल को चीरकर खुशी का सूरज उगायेंगे
लोग सपनों से ऊँचा उड़ते हैं हम क्या मंजिल भी न पायेंगे
मेरे दिल यूं न टूट के बिखर जा
माना कि क़ई बार मैंने हार है पाया
पर यूं न दिल तू खो हौंसला
फिर से आगे बढ़ने का जोश जगा जा…
बहुत खूब .
अच्छा प्रेरक गीत !