बेटी
फूल थी तेरी बगिया की माँ
फिर क्यों रीति है ये कह
रोंप दिया दूसरी क्यारी ।
रोती है तू भी कर याद
चुपके चुपके
और में भी हो दूर तुझ से तन्हा तन्हा।।
क्यों बेटी का नसीब होता ये
खिलना महकना बाबुल के आँगन
सिसकना तरसना साजन के आँगन।।
फूल थी तेरी बगिया की माँ
फिर क्यों रीति है ये कह
रोंप दिया दूसरी क्यारी ।
रोती है तू भी कर याद
चुपके चुपके
और में भी हो दूर तुझ से तन्हा तन्हा।।
क्यों बेटी का नसीब होता ये
खिलना महकना बाबुल के आँगन
सिसकना तरसना साजन के आँगन।।
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