नन्ही सी गुड़िया टूटने से डरती बड़ा खेलने की उम्र में मत धकेलो मुझे रिश्तों के बंधनों में चूल्हे चौके की ज़िम्मेदारीयों में कर बाल विवाह बहुत छोटी हूँ कोमल सी, अल्हड़ सी मत करो कुर्बान बचपन मेरा यूँ बाल विवाह की बलिवेदी पर। नन्ही सी गुड़िया टूटने से डरती बड़ा तन और मन के […]
Author: मीनाक्षी सुकुमारन
बिन नाम-पहचान के रिश्ते ये कैसे
प्रेम कभी एक पवित्र रिश्ता होता था जिसमें दो दिल एक दूसरे के साथ, एहसास , भावनाओं को न सिर्फ समझते उसे मान सम्मान और भरोसा से संजोते थे। शादी के लिए परिवार की रज़ामंदी के लिए जी जान लगा देते थे उन्हें मनाने में और दोनों परिवार साथ मिल इस रिश्ते का नाम और […]
कविता
बड़े हो गए तो क्या अभी भी मन का बच्चा केक, आइसक्रीम, चॉकलेट झूला,बारिश, खेल खिलौने देख मचलता तो है।। बड़े हो गए तो क्या मन का बच्चा अभी भी जिन्दा है शरारतें करने को , पेड़ से कच्चे आम, अमरूद तोड़ने को, बरसात में भीगने को, पानी में छप छप करने को कागज़ की […]
जीवन का मतलब तो आना और जाना है
आसूँ हो या मुस्कान सुख हो या दुःख सुबह हो या दिन शाम हो या रात बसंत हो या पतझड़ गर्मी हो या सर्दी तपती धूप हो या रिमझिम बरसात जब कुछ भी स्थिर नहीं तो फिर सोचना , चिंता , शिकवा शिकायत करना या विचलित होना क्यों उसपर पल भर का पता नहीं जीवन […]
कायाकल्प
लाल जोड़े में सजी धजी लाल चूड़ा हाथों में था खनकता चेहरे पे खुशी की लाली लिए आयी थी बन दुल्हन सजाया घर संसार बच्चे हुए उनको कर बड़ा किया पैरों पे खड़ा फिर रचाये सबके ब्याह बड़े ही चाव से दो लड़कियां दो बेटों दो जवाई दो बहुएं इस तरह हुआ विस्तार मेरे परिवार […]
एक दिन कहानी बन जाऊँगी
आज खिलखिलाती हूँ बिखेर मुस्कानें अपनी होंठ भी हँस पड़ते हैं आज जब उदास होती हूँ बिखर जाती है नमी पलकों के कोरों पर जब मिलती हूँ किसी से रह जाती है छाप उसके दिल पर हमारी नाम मानो लिख जाता हो उसके दिल और दिमाग पर इस तरह हो अपना या पराया देता स्नेह, […]
प्रेम भावना है शब्द नहीं
बचपन से बड़े होने तक हम सभी ने लैला मजनू हीर रांझा, सोनी महिवाल के किस्से सुने, पड़े और फिल्मों में देखे हैं और यही जाना की सच्चा प्रेम बस यही है जो इन जोड़ियों ने किया क्योंकि प्रेम तो एक खूबसूरत एहसास है जो दिल से दिल का होता है न की शब्दों का […]
ज़िन्दगी
कभी कभी ज़िन्दगी ऐसे दोराहे पर भी ले आती है जहां किसी एक रास्ते को चुनना मुश्किल हो जाता है कभी खुशियों और गमों में चुनना कभी उम्मीद और नाउम्मीदी में चुनना कभी सपनों और अपनों में चुनना कभी आशा और निराशा में चुनना कभी सुकून और तनाव में चुनना कभी खुद को मिटा कर खुद का […]
दीवारें
दीवारें चाहे मिट्टी से लिपि हों या फिर ईंट , पत्थर, गारे या सीमेंट से सुनती है सब जो घटता है इनके बाहर या फिर अंदर सुनती हैं ये सिसकियां भी चहचहाहट भी खिलखिलाहट भी महसूस करती हैं उदासियों को तन्हाईयों को बेबसी को प्यार को गुस्से को दीवारें भली ही होती हैं बेजान पर […]
होली
हँसी ठिठोली जोरा जोरी मस्ती अठखेली सब चलेगी जब उड़ेगा रंग गुलाल का जब चढ़ेगा नशा भांग का जब फूटेंगे गुब्बारे जब उड़ेगी खुश्बू इमरती गुजिया की जब मन भरमाएँगे पकौड़े, चाट, दही भल्ले होगी फूल ऑन मस्ती सरोबर रंग, मस्ती, मिलन हँसी , ठिठोली से सब उठेंगे झूम हँसते, खिल खिलाते भूल शिकवे गीले […]