कविता

सिहर उठती हूँ देखकर

जब कोई पागल प्रेमी
गोद देता है शरीर अपनी
प्रेमिका का करके चाकू
से वार कई ।
या फिर करके टुकड़े फेंक
 देता है जंगलों में ।
सिहर उठती हूँ देखकर
कैसा खूनी प्यार है ये
जो इतना निर्दयी, बेरहम, कठोर
की जान का रहा न कोई मोल।
कभी एसिड अटैक
कभी निर्मम हत्या
कभी वहशीपन
कभी बर्बरता
कैसा फरेब है ये
प्यार के नाम पर
जो न झिझके, न हिचके,
न डरे, न सोचे , न घबराए
ज़रा भी
सिहर उठती हूँ देखकर
अक्सर सुर्खियां में देख सुन
ये खबरें इतनी अमानवीयता
वो भी प्यार, रिश्ते , संबंधों,
चाहत के नाम पर ।
क्या ये प्यार है या सिर्फ
छलावा, धोखा
जो प्रेम के नाम पर
करता सिर्फ वार
सिहर उठती हूँ देखकर
कत्लेआम यूँ बनाम प्यार।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |