कविता

जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि

है बात तो सच्ची कितनी

जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि

जहाँ सूरज की किरणें

जहाँ हवा के झोंके

जहाँ सागर की लहरें

जहाँ बरखा की बूंदें

जहाँ धूप की आंच

जहाँ सांझ की शीतलता

जहाँ चांद की चाँदनी

जहाँ टिमटिमाते सितारे

भले ही न पहुँच पाएं

कवि की कल्पना

कवि की सोच

कवि के एहसास

कवि के भाव

कवि के शब्द

अवश्य ही पहुँच जाते हैं

जैसे फूलों की सुंगध

जैसे पेड़ पौधों की हरियाली

जैसे मिट्टी की सौंधी महक

जैसे सांसों में घुलती हवा

इसलिये सच ही है

जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि ।।

— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |