कविता

जीवन का मतलब तो आना और जाना है

आसूँ हो या मुस्कान
सुख हो या दुःख
सुबह हो या दिन
शाम हो या रात
बसंत हो या पतझड़
गर्मी हो या सर्दी
तपती धूप हो या रिमझिम बरसात
जब कुछ भी स्थिर नहीं तो फिर सोचना ,
चिंता , शिकवा शिकायत करना या विचलित होना क्यों
उसपर पल भर का पता नहीं जीवन का कब
साँसे कह दें अलविदा
हँसते खेलते या सताकर
दिल दे जाए दगा या सांस
बीमारी बन आ काल
या फिर कोई दुर्घटना
जीवन का मतलब तो आना और जाना है
फिर कैसा और किस से गिला
जो है वो कब रहा है चाहे हो
 अधरों की मुस्कान
आँखों की नमी
दुःख, दर्द, तकलीफ
रिश्ते, नाते, मौसम, समय का फेर
फिर जीवन और मरण का कोई कैसे कहे
कब गूँजे किलकारी नव जीवन की
कब गूँजे रुदन जीवन के अंत की
जीवन का मतलब तो आना और जाना है
फिर इस से कैसी शिकायत या गिला……।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |