कविता

दुविधा

संकट था कितना भारी

दुर्गम था कितना रस्ता

अंधेरी गहरी सुरंग

41 श्रमिक फंस गए दीवाली के दिन

जब हर तरफ थी खुशियों की लहर

हर ओर रोशनी , दीपों की कतार,

 बिजली की लड़ीयां दमकती जगमग

मिठाईयों, पकवानों की महक 

खुशियां की चहक

वहीं पसरा सिर्फ अंधेरा, 

बेबसी, तन्हाई , उदासी

 गहरी सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए

और उतनी ही उनके परिजनों के लिए

जैसे ही दुखद खबर आग की तरह फैली क्या सरकारी मशीनी, कर्मचारी, 

वैज्ञानिक,देशी, विदेशी अनुभवी, 

सैनिक, आपदा विशेषज्ञ, उनकी टीमें,

 अधिकारी सब जुट 

गये बचाव कार्य में

रोज़ नई चुनौती आती

रोज़ नई रुकावट आती

रोज़ नई उम्मीद की किरण जागती

रोज़ नई आशा जगती 

पूरी पूरी सुबह

पूरा पूरा दिन

पूरी पूरी रात

प्रयास चलते रहे

ताकि किसी भी तरह

उन सभी 41श्रमिकों को

सुरक्षित निकाला जा सके

जहाँ एक तरफ विज्ञान, 

हर तरह की बड़ी छोटी मशीनें,

हज़ारों लोग मेहनत मशक्त कर रहे थे

वहीं पूजा, पाठ, हवन, प्रार्थनाएं, दुआएं

आस्था का भी पुरज़ोर था

आखिरकार एक नया प्रयास

और किया गया रेट माइनरस

की मदद से रास्ता बनाने की कोशिश ताकि श्रमिकों तक पहुंचा जाए

अब सभी की निगाहें बस सुरंग के मुख्य द्वार पर टिकी थीं आखिर कब कोई सुखद समाचार आये

और हर प्रयास रंग लाया

हर चुनौती जीत गयी

आस्था और वैज्ञानिक उपकरण 

का समागम हुआ

और 

57 मीटर 41 ज़िन्दगीयां,17 दिन बाद

विजयी मुस्कान लिए सभी 41 श्रमिक उस गहन अंधेरे से बाहर आ गए

और सभी ने राहत और सुकून की सांस ली

रात में भी मानो हर और उजाला फैल गया हो

यूँ 41 ज़िन्दगीयों को हँसते, मुस्कुराते देख

सलाम है उनके हौंसले, अदम्य साहस,ताकत, हिम्मत को जिसने इस दुविधा में भी

जोड़े रखा

और गहरे अंधेरे को चीरकर 

हर बाधा से पार कर

चट्टानों का सीना चीर कर

41 विजयी श्रमिक

सुकून भरे उजाले में थे 

गहरी गहन अंधेरी सुरंग से बाहर।।

— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |