यात्रा वृत्तान्त

जा रहा था—मैं !

मैं कुद्रा रेलवे स्टेशन पर ज्यों ही पहुंचा तभी एक आवाज़ सुनाई दी कि गाड़ी थोड़ी देर में प्लेट फार्म नम्बर दो पहुंचने वाली है। आवाज़ को सुनते ही मेरे अन्दर इधर टिकट कटाने की तो उधर गाड़ी छूट न जाए यही दो बातें दिल के अन्दर आने लगी। तभी अचानक मेरी नजर टिकट घर की तरफ गई। वहाँ पर देखा भीड़ बहुत ज्यादा थी। एक दूसरे में होड़ मची हुई है। उसी भीड़ में मैं भी शामिल हो गया। बड़ी मशक्कत के बाद टिकट कटा लिया और जेब में रखते हुए प्लेट फार्म की तरफ बढ़ा। तभी गाड़ी के हार्न की आवाज़ सुनाई दी और गाड़ी प्लेट फार्म पर आकर खड़ी हो गई। मैं गाड़ी पर चढने के लिए आगे बढ़ा तो देखा गाड़ी की सभी बोगी में भारी भरकम भीड़-भाड़ दिखाई दे रही थी। उसी भीड़ में एक जगह मेरी भी थी, लेकिन निर्णय नहीं कर पा रहा था कि वो जगह कहाँ पर हैं। तभी गाड़ी का संकेत हरा हो जाता है, हरा होने के वजह से मुझे जगह का निर्णय लेना मेरी मजबूरी हो जाती है और मैं एक जगह उसी भीड़ में बना लेता हूँ।

गाड़ी अपने रफ्तार में अपने गन्तव्य स्थान की तरफ़ बढ रही है। मैं बैठने के लिये जगह की तलाश करने लगा। थोड़ी देर बाद जगह मिल गई। आराम से बैठ गया। खिड़की के रास्ते मेरी नजर बाहर निकल गई और विचरण करने लगी। कहीं लहराते फसलों में, कहीं वृक्षों की डालींयों पर उलझते हुए आगे बढ रही है। पेड़, पौधे, फसल, चंचलता का भाव लिये हुए हैं। तभी अचानक मौसम ने करवट ली और और आसमान में काले-काले बादल उमड़ने लगा इसी काले-काले बादलों के डर से सूर्य की किरणें सूर्य में समाहित हो गई। इतना ही नहीं बल्कि पेड़ पौधे भी अपनी पत्तियों का रंग बदलने लगे उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि कोई उन पर आफत आने वाली है। तभी बिजली की चमक के साथ-साथ बादलों के टकराने की आवाज़ आने लगी, अंधकार छाने लगा। हवा में गति तेज हो गई धुल की मात्राएँ बढ गई। तभी अचानक बादल जो आवाज़ कर रहे थे वो पानी का रूप लेकर धरती माँ के आचल में मोतियों के बुन्द की तरह बिखेरने लगे।

उधर एक तरफ प्यासी हुई धरती माँ की प्यास बुझती है वहीं दूसरी तरफ वही दूसरी तरफ किसानों के उगाये हुए फसल जो अपने अन्तिम चरण में है वो आत्मा समर्पण कर रहे हैं, अपने अस्तित्व को मिटाकर किसानों के हृदय पर गहरी चोट दे रहे हैं। थोड़ी देर पहले सब कुछ ठीक चल रहा था और थोड़ी देर बाद ही सब अस्त-व्यस्त हो जाता है बर्बाद हो जाता है। तभी गाड़ी की रफ्तार में कमी आने लगी मुझे आभास हुआ कि अब रुकने की कोशिश कर रही है मुझे भी तैयार हो जाना चाहिए। बहुत कोशिश के बाद जो मेरी नजरें खिड़की के रास्ते बाहर में बिखरे पड़े थे उन्हें किसी तरह से इकठ्ठा किया। तब-तक गाड़ी मुगलसराय के प्लेट फार्म पर ठहराव ले चुकी थी। फिर मैं बाहर निकला तो देखा मौसम साफ है न पानी बरस रहा है न धूलभरे कण दिख रहे है। बिलकुल सुहाना मौसम बन गया है कभी-कभी ऐसा भी होता है सुख भरे पल में ही निहित होता है बड़ा दुखो का भण्डार।

एक तरफ पानी बरसने से लोगों को गर्मी से राहत मिलता है वहीं दूसरी तरफ खाद्य पदार्थ के क्षतिग्रस्त होने से भावी कष्ट होने की संभावना भी है।

रमेश कुमार सिंह

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- [email protected]                  [email protected] ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~