बाल कविता : हार के आगे जीत
नहीं हार से तुम घबराना ,
बस आगे ही बढ़ते जाना
जितना हारो उतना सीखो ,
अपने को मजबूत बनाना |
हार हमारी हमें सिखाती ,
हरदम नई राह दिखलाती ,
मेहनत हमे और करना है ,
नये सिरे से यह सिखलाती |
अबकी नया व्यूह रचना है ,
सोच समझ आगे बढ़ना है
जहाँ चूक होती है हमसे ,
उसका समाधान करना है |
आगे पक्की जीत मिलेगी ,
गले विजय की माला होगी
हार जीत मे बदली कैसे ,
यह सारी दुनिया देखेगी |
— अरविंद कुमार ‘साहू’