अबकी मानसून में कोई, कविता नहीं लिखेंगे केवल बारिश मे भीगेंगे, छप्पा – छईं करेंगे रेन कोट भी न पहनेंगे, बूट नहीं पहनेंगे हाथों मे बारिश का पानी, रोकेंगे, मचलेंगे आसमान मे मुंह करके, बादल से बात करेंगे पाँव पड़ेगा गड्ढे मे तो, कीचड़ मे फिसलेंगे मम्मी – पापा की डॉटों का, बुरा नहीं मानेंगे […]
Author: अरविन्द कुमार साहू
बाल कविता – आओ दीपावली मनाएँ
घर – घर में खुशियाँ फैलाएं आओ दीपावली मनाएं. सारी दुनिया जगमग कर दें, घर – आँगन में खुशियाँ भर दें, सब मिल जुल कर दीप जलाएं, आओ दीपावली मनाएँ. सुन्दर मीठे अजब खिलौने, पकवानों के हैं क्या कहने, बैठो खील बतासे खाएं, आओ दीपावली मनाएँ. धूम – धड़ाका चारों ओर, मचा पटाखों का है […]
बालगीत – चलो देश को स्वच्छ बनाएं
आओ भारत स्वच्छ बनाएं, स्वच्छ देश अभियान चलाएं. इधर – उधर मत फेंके कचरा, सही जगह उसको निपटाएँ. घर आँगन से विद्यालय तक, साफ – सफाई खुद अपनाएं. गली मुहल्ला पार्क सड़क को, करके सुन्दर – स्वच्छ दिखाएं. ऐसा करना बहुत जरूरी, औरों को भी यह समझाएँ. न फैले कीटाणु – बीमारी, सभी गंदगी दूर […]
बालगीत – सपनों का भारत
ऐसा मेरे सपनों का भारत होगा | सभी पढ़ेंगे, सभी बढ़ेंगे, देश का ऊँचा नाम करेंगे, जहाँ न कोई छोटा होगा, कोई बड़ा न होगा | जहाँ न होंगे झगड़े – दंगे कहीं न होंगे भूखे नंगे, जाति – धर्म की जगह सिर्फ, भाई चारा ही होगा | नहीं किसी का शोषण होगा, न्याय और […]
बालगीत – दादा जी के चश्मे जी
कान पकड़कर चढ़े नाक पर रोब जमाते चश्मे जी दादा जी की आँखें बनकर , राह दिखाते चश्मे जी छपा हुआ अखबार मच्छरों जैसा लिपा पुता दिखता अक्षर-अक्षर साफ दिखा खबरें पढ़वाते चश्मे जी धूल गंदगी या उंगली का ठप्पा उन्हें पसंद नहीं साफ मुलायम कपड़े से खुद को पुंछवाते चश्मे जी दादा जी की […]
संता–बंता ने बदल लिया नाम, हो गये शुगली–जुगली
संता-बंता एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही जबरन होंठों पर मुस्कान आ जाती है| संता-बंता के नाम के चुट्कुले सारी दुनिया मे मशहूर है| इंटरनेट से लेकर अखबार-पत्रिकाओं और स्टेज शो से लेकर फिल्मों तक, हर जगह हंसी मज़ाक के लिए इनके नामों की धूम है| कितने लोगों को तो आज तक ये भी […]
दीपावली पर विशेष लेख
ज्योति पर्व ‘दीवाली’ भारत का एक प्रमुख उत्सव है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ से प्रेरित ‘बहुजन सुखाय’ की आत्म ज्योति प्रज्वलित करने वाले इस पर्व को प्रायः सभी धर्मों के लोग अपनी-अपनी मान्यतानुसार राष्ट्रीय स्तर पर मनाते हैं। इसके मनाए जाने के पीछे सांस्कृतिक दृष्टिकोण के अलावा धार्मिक भावनाएं भी प्रमुख हैं। कुछ लोग भगवान श्रीराम […]
बाल कविता : चलो पेड़ को राखी बाँधें
पेड़ हमारे सच्चे साथी, माता – पिता गुरु जैसे हैं इनसे ही दुनिया मे जीवन, इनसे भी सच्चे रिश्ते हैं इस रक्षा बंधन पर आओ, इनसे रिश्ता नया बना दें पेड़ हमे भोजन देते है, पेड़ हमे देते औषधियाँ ताजी हवा इन्हीं से मिलती, हरी भरी जब रहती बगिया पौधा रोपण का व्रत लेकर, हम […]
बाल गीत
जैसे महका , नन्दन कानन अपनी दुनिया , अपना बचपन || गिरते – उठते , फिर गिर पड़ते डगमग – डगमग चलते रहते संभल – संभल कर बढ़ता जीवन | अपनी दुनिया , अपना बचपन || सारे घर मे पा पा…मा .मा जीवन की धुन सा.रे..गा.मा , पग – पग नाचा ,थिरका आँगन | अपनी […]
बालगीत – “वर्षा रानी”
वर्षा रानी फिर बादल के रथ पर चढ़कर आई देख दहकते सूरज जी को मंद – मंद मुस्काई | इंद्रधनुष का सतरंगी , परिधान पहन इठलाई , नीली छतरी के नीचे वह उमड़ घुमड़ कर छाई | गरज – तड़प कर के मेघों ने ऐसी धुने बजाई , खूब छमाछम नाची वर्षा , थिरके नदी तलाई | रिमझिम रिमझिम ठंडी बूंदों ने जब धार बहाई गर्मी सारी ठंडी पड़ गई , सहमे सूरज भाई | -– अरविंद कुमार ‘साहू’