एक भोली भाली लड़की
एक भोली भाली लडकी का अद्भुत, अनुपम दीदार हुआ,
सुंदरता का वर्णन ऐसा कंचन सा श्रृंगार हुआ,
आँखें जिसकी शर्मीली एक तिल भरा रुख़्शार हुआ,
हमको बस कुछ पल में उनसे थोड़ा थोड़ा प्यार हुआ।
एक भोली भाली लड़की का……………….
मिलन हुआ जब उनसे मेरा वो दूर का रिश्तेदार हुआ,
पल दो पल का प्यार का किस्सा पल भर में अखबार हुआ,
सारे ख्वाब अधूरे रह गए हर प्रयास बेकार हुआ,
सबको अपना प्यार मिला,बस मेरा प्यार उधार हुआ।
एक भोली भाली लड़की का………………
— नीरज पान्डेय
बहुत मधुर गीत !
आप सबका आशीष। सादर प्रणाम