कविता

पहले पहल…!!

दुनिया के हर कोने में,
जलती है चिमनी,
और उठता है धुआं,
आज भी..
लेकिन ये सब रोशनी के लिए नहीं होता!
नीन्द के हर कोने में,
पलता है ख्वाब,
और होती है सुबह,
आज भी…
लेकिन ये सब देश के लिए नहीं होता!
स्वार्थ एक कोने में
छिपा बैठा है
तेरे हृदय में,
परहेज कर ले अब तो
कि कुण्ठा ये मार देंगी!
पाषाण हृदय को
सरस कर
घोल दे खट्टे नींबू में
शक्कर जरा-सी,
कि पहल हो फिर से नई..
छोड़ कि दुश्मन तुम्हारा
है किनारे पर खड़ा,
था तेरा हिस्सा ‘प्रजापति’
पाक रत्नों से जड़ा,
कड़वा घोल करेले का
पीले रे भलमानुष,
कड़वा है..
लेकिन ये सब स्वाद के लिए नहीं होता!

©एस.एन.प्रजापति

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!