कविता

बीते लम्हे

यादों में डूबा कभी सोचता हूँ
कि वो पल क्या थे
सच के ईनाम थे या झूठ के पैगाम थे
वो यादें आज भी जिंदा हैं मुझ में
चाहे ये दुनिया भी छोड़नी पड़े
लेकिन वो यादें आत्मा में खुदी हुई हैं
किसी जन्म में भी पीछा नहीं छोड़ने वाली
ये यादें
जो चेहरे दिल में छिप चुके हैं
वो जाने पहचाने हो कर भी अजनबी हैं
ये यादों की लहर हर जन्म में गुज़री है शायद
— अक्षित शर्मा
कोबे , जापान

 

2 thoughts on “बीते लम्हे

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढिया .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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