भारत की नियति है सेवा -बृजनन्दन यादव
सेवा भारत की नियति है। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः भारत की संस्कृति है। निःस्वार्थ भाव से सेवा करना भारतीय अपना कर्तव्य मानते हैं लेकिन विदेशी लोगों की सेवा के पीछे एक उद्देश्य निहित होता है। यही भारत और दुनिया के अन्य देशों में अन्तर है। विश्व के किसी भी राष्ट्र के समक्ष जब भी कोई आपदा आयी है भारत सदैव अग्रणी राष्ट्र के रूप में सेवा के लिए आगे आया है। यही कारण है कि आज पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के ऊपर आयी आपदा को भारत अपने ऊपर मान रहा है और भूकम्प आने के बाद से ही राहत व बचाव कार्य में लगा है। भारत यह इंतजार नहीं करता कि कोई हमसे मद्द मांगे तब हम मद्द करेंगे बल्कि भारत ऐसे मौंकों पर बिना समय जाया किये हुए तत्काल राहत कार्य में लगता है। कई मौकों पर भारत की सत्ता ने यह सिद्ध कर दिखाया है। पड़ोसी राष्ट्र पर आने वाले संकट को स्वयं आगे बढ़कर अपने पर ले लेना यही सच्चे पड़ोसी की पहचान है। भारत ने यह सिद्ध कर दिखाया है। ऐसे मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यकुशलता की भी दाद माननी पड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल में भूकम्प से आयी तबाही पर शोक व्यक्त किया है। नेपाल में भूकम्प आने के बाद नेपाल के राष्ट्रपति को फोन कर वहां का हालचाल लेने वाले मोदी विदेश के पहले राष्ट्राध्यक्ष थे। प्रधानमंत्री ने नेपाल को हर संभव मद्द का भरोसा दिलाया है। भारत के रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने एक लाख रेल नीर की बोतल नेपाल भिजवाने की बात कही है। यह भारत की विशालता और विश्व बंधुत्व के भाव को को दर्शाता है। इसके अलावा भारत की कई स्वंयसेवी संस्थाओं ने भी नेपाल में राहत व सेवा कार्य शुरू कर दिया है। भारत ने कभी किसी राष्ट्र पर आक्रमण तो नहीं किया लेकिन जब किसी देश में विपदा आयी तब भारत के दरवाजे हमेशा खुले रहे हैं। संकट की हर घड़ी में भारत ने विदेशियों की मद्द की है। साम्राज्यवादी राष्ट्र चीन ने जब तिब्बत पर हमला कर उस पर आधिपत्य कर लिया तो वहां के धर्मगुरू दलाई लामा ने भारत में शरण ली।वह आज भी भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
कुछ लोग सेवा का मतलब सर्विस से लगाते हैं। इससे भाव भी बदल जाता है। गलत अर्थ के कारण तमाम समस्यायें पैदा हो जाती हैं। सेवा सर्विस नहीं हो सकती है और न ही सर्विस सेवा हो सकती है। भारत के ऋषि मनीषियों ने सेवा को बड़े रोचक ढ़ंग से समझाया है। विवेकानन्द ने कहा था कि मैं उस प्रभु का सेवक हूं जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं। इससे उन्होंने नर सेवा नारायण सेवा के मंत्र को पुष्ट किया था। महात्मा गांधी ने भी कहा था कि ईश्वर की सेवा का अर्थ ही है मानव सेवा।
नेपाल में 81 साल बाद ऐसा जबरदस्त भूकंप आया है। इस झटके में नेपाल का कुतुब मीनार कही जाने वाली धारहारा भी जमीदोंज हो चुकी है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.8 दर्ज की गई। इसका केंद्र पोखरा से 80 किमी दूर जमीन में 31 किमी गहराई में था। स्थानीय समयानुसार 11 बजे 42 मिनट पर पहला झटका महसूस किया गया। यह नेपाल के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा भूकंप बताया जा रहा है। इससे पहले 1934 में नेपाल और उत्तरी बिहार में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसमें 10,600 जानें गईं थी।
पड़ोसी होने के नाते इसका असर भारत पर भी आया। नेपाल के सबसे पास बिहार है, इसलिए सबसे ज्यादा 45 मौतें भी बिहार में ही हुईं। बाकी 12 लोग यूपी और प.बंगाल में मारे गए हैं। भूकंप आने की आशंका की दृष्टि से देश को पांच जोन में बांटा गया है। जिसके हिसाब से राजस्थान का अधिकांश हिस्सा दूसरे जोन में है। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक इस जोन में भूकंप की आशंका सबसे कम होती है। हिमालय की तराई वाले इलाकों, कच्छ और नर्मदा रिफ्ट जैसे संवेदन शील क्षेत्रों में जोरदार भूकंप अपने पर उसके झटके प्रदेश में महसूस होते हैं। इसी तरह जैसलमेर में भूगर्भीय प्लेटों के बीच फॉल्ट है। यह भी भूकंप की उत्पत्ति वाले क्षेत्र में है। वहां का अधिकांश इलाका निर्जन होने के कारण भूकंप के झटकों का लोगों को पता नहीं चल पाता। इसी अरावली के पश्चिम इलाकों में भी भूकंप की आने की आशंका रहती है। उनकी तीव्रता हिमालय की तराई वाले इलाकों की अपेक्षा काफी कम होती है।
काठमांडू में धारहारा मीनार (भीमसेन टॉवर), जानकी मंदिर (सीता का जन्मस्थान) और दरबार स्क्वायर पूरी तरह से तबाह हो चुका है। घोराही, भरतपुर, भैरवा, लामजुम, पोखरा, बुटवल, लुंबनी और तिलोत्तमा में जबरदस्त नुकसान हुआ है। निचले इलाकों में नुकसान ज्यादा बताया जा रहा है। काठमांडू में मशहूर धारहारा टॉवर ढह गई। नौमंजिला मीनार को नेपाल की कुतुब मीनार कहा जाता था। यह विदेशी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय थी। नेपाल आपदा में आज सारा देश सहायता के लिए खड़ा हो गया है।रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने रेलवे की और से 1 लाख पानी की बोतल काठमांडू भेजी।संचार मंत्री आर एस प्रशाद से नेपाल में फोन लोकल की दर पर बात की सुविधा दी है। ऊर्जा मंत्री पियूष गोयल ने इंजिनियरों की टीम भेजी ताकि बिजली पॉवर ग्रिड को सुधारा जाए।शिरोमणि गुरुद्वारा समिति ने 25000 खाने के पेकेट रोज भेजने क पेशकस सरकार को की। प्रधानमंत्री के द्वारा 3 टन राहत सामग्री और दिल्ली बीजेपी की और से दो ट्रक में दवाई, चावल, तम्बू भेजे गए और शाम तक विशेष विमान से पहुँच भी गए।वायु सेना से अपने दो विमान नेपाल सरकार की मदद को भेजे।मिलिट्री इंजिनियर सर्विस ने 24 घंटे राहत कंट्रोल रूम सुरु किया। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, पतंजलि योगपीठ और शिरोमणि अकाली दल सहित तमाम स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ता राहत व सेवा कार्य में लगे है।
बृजनन्दन यादव, लखनऊ
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