कम्युनिस्ट पोल प्रकाश
1. अपने को आधुनिक, सभ्य दिखाने के लिए माँसाहार, चरित्रहीनता, नशाखोरी के पक्ष में कुतर्क देना।
2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बहुसंख्यक लोगों की मान्यताओं का तिरस्कार करना एवं अल्पसंख्यक की मान्यतों का समर्थन करना।
3. अपनी गलती का दोष ईश्वर अथवा बहुसंख्यक हिन्दुओं अथवा देश की सरकार को देना। जैसे भूकम्प आने पर ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाना।
4. मानसिक रोग जैसे समलैंगिकता जैसे पशु समान व्यवहार को सही ठहरने के लिए कुतर्क देना।
5. वेद आदि धर्मग्रंथों के सत्य अर्थ को न समझ कर उनके गलत अर्थ को प्रचारित कर उनकी निंदा करना।
6. NGO बनाकर उसके चंदे से दंगाई मुसलमानों को शांतिप्रिय एवं हिन्दुओं को अत्याचारी सिद्ध करने का प्रयास करना।
7. NGO के माध्यम से देश की प्रगति को पर्यावरण एवं प्रदुषण के नाम पर रोकने का प्रयास करना।
8. विश्वविद्यालयों में वोट बैंक की राजनीती और मुस्लिम तुष्टिकरण एवं नास्तिकता को बढ़ावा देना।
9. देश की प्राचीन महान सभ्यता को जंगली एवं गंवार बताना।
10. प्राचीन महापुरुषों जैसे श्री राम, श्री कृष्ण आदि को मिथक एवं कल्पना बताना।
11. हिन्दू धर्म से सम्बंधित अंधविश्वासों को बड़ा चढ़ा कर बताना एवं अन्य मत-मतान्तर से सम्बंधित अंधविश्वासों पर मौन धारण कर जाना।
12. देश को तोड़ने के लिए विदेश से चंदा लेकर देश विरुद्ध कार्य करना।
13. देश के क्रांतिकारियों में साम्यवादी विचारधारा वाले क्रांतिकारियों को असली और गैर साम्यवादी विचारधारा वाले क्रांतिकारियों को नकली बताकर उनमें भेदभाव करना।
14. प्रचार तंत्र द्वारा युवाओं को भ्रमित करना।
15. जिस मिटटी में जन्में, जिस देश का अन्न खाया उस देश को गाली देना और विदेशियों के तलवे चाटना।
डॉ विवेक आर्य
आपने कम्युनिस्टों की मानसिकता का बहुत सही परिचय दिया है. मैं इसकी पुष्टि करता हूँ क्योंकि मैं जवाहरलाल नेहरु वि.वि. नई दिल्ली में पढ़ा हूँ और कम्युनिस्टों की नस नस से परिचित हूँ.
धन्यवाद।
आपके ज्ञान, पुरुषार्थ, साहस एवं निर्भीकता को प्रणाम। धन्यवाद।