तुम्हारे ह्रदय में….
मैं तो सिर्फ
किताब का एक पन्ना हूँ
जिसे तुमने चुपके से फाड़कर
अपने पास रख लिया है
जब अकेले होते हो
तो उसे पढ़ लेते हो
प्यार कोई किससे कितना करता है
आखिर तक कोई नहीं जान पाता
जैसे तुमने मुझे यह मालूम ही नहीं होने दिया
की
तुम्हारे दिल में मेरे लिए
कितनी जगह है
मैं तुम्हारे सौंदर्य से अभिभूत ही रहूँगा
तुम अक्सर कह देते हो
मुझे महान
और मैं आज भी तलाश रहा हूँ
तुम्हारे ह्रदय में
अपने लिए स्थान
किशोर कुमार खोरेन्द्र