कुछ तुम्हारे मिले, कुछ हमारे मिले..!
लहर-दर-लहर किनारे मिले,
कुछ तुम्हारे मिले,
कुछ हमारे मिले..!
हाथों की रेखा बदलती है किस्मत,
तुम ही बताओ क्या कीजै ये मेहनत?
सरी राह सपनों के सितारे मिले…
कुछ तुम्हारे मिले,
कुछ हमारे मिले..!
पागल हवा ने दिया है संदेशा,
बिलकुल तुम्हारी लिखावट के जैसा,
ख़तों में गुलों के नज़ारे मिले…
कुछ तुम्हारे मिले,
कुछ हमारे मिले..!
झुलस जाएंगे जो अगर गिर पड़ी,
फूलों पे तुम्हारी आंसू की लड़ी,
ये फूल ‘प्रजापति’ के द्वारे मिले…
कुछ तुम्हारे मिले,
कुछ हमारे मिले..!!
एस.एन.प्रजापति
वाह वाह ! बहुत खूब !!
धन्यवाद बड़े भाईसाहब