मोहब्बत
मोहब्बत की उम्मीद पे ही जिन्दगी सँवरती है
झुकी – झुकी नजरों में मोहब्बत बसीं रहती है
मोहब्बत में ही सब कुछ बयां हो जाता है यारों
इशारे ही सबकुछ है जो लबों पे नहीं आती हैं।
@रमेश कुमार सिंह
मोहब्बत की उम्मीद पे ही जिन्दगी सँवरती है
झुकी – झुकी नजरों में मोहब्बत बसीं रहती है
मोहब्बत में ही सब कुछ बयां हो जाता है यारों
इशारे ही सबकुछ है जो लबों पे नहीं आती हैं।
@रमेश कुमार सिंह
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आपने मुक्तक लिखने की कोशिश की है. इसके भाव अच्छे हैं, लेकिन तकनीकी दृष्टि से मुक्तक सही नहीं बना है. सुधारने की कोशिश कीजिये.
जी जरूर सुझाव के लिए धन्यवाद श्रीमान जी।