लोगों के डर से………
लोगों के डर से मुझ से तुम चले, दूर जाते हो
पास आने के लिए फिर हो,मजबूर जाते हो
यूँ तो तेरे ख्वाब में ,तेरे ख्यालों में ही रहता हूँ
जहाँ मिले थे पहली बार, वहाँ जरूर जाते हो
नरम बालू सा धूल सा बिछा रहा तेरे कदमों तले
न जाने क्यों फिर भी तुम मुझसे रूठ जाते हो
प्यार को आजीवन निभाने का वादा किया हूँ मैं
बार बार क्यों आईने के शीशे सा तुम टूट जाते हो
बादल की छाँह सा तुम साथ रहते हो मेरे हरदम
अचानक तन्हा कर किसी मोड़ से क्यों मुड जाते हो
किशोर कुमार खोरेन्द्र
वाह ! वाह !!