चाँद
चाँद
कुछ अरसे पहले ये चाँद
बेटा था मेरी नानी का
इसमें परियों का डेरा था
हिस्सा था उनकी कहानी का…..
साथ खेलते खेलते न जाने कब
साथी बन गया सपनों का
ये मेरी आँखों में चेहरा
पहचानता था अपनों का…….
आजकल ये मेरी
नानी का नाती है
परियों की लिखी
कहानी भरी पाती है…..
कल को बने शायद
नाती मेरी मां का
ये हिस्सा है सबके
कारवां का….
ये रिश्ते बदल के जीता है
हमसे ही रिश्ते लेता है
ये तो पूरा रीता है….
बहुत खूबसूरत कविता है ।
Thanks
वाह वाह ! बहुत सुन्दर !!
Thanks
बहुत खूब , वाह वाह .
शुक्रिया हौसला बढ़ाने के लिए
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