**** तुम न आये ****
प्रेम की परिभाषा
कभी विरह
तो कभी मिलन
नए तराने
नए अफ़साने
वो उलझे रिश्ते
आये न जो तुम
कभी सुलझाने
वो भूले गीत
वो भूली यादें
एक पल हँसना
पल में रूठ जाना
चिंतन तो कभी घुटन
वो पुराने किस्से
कुछ कहे तो
कुछ अनकहे
आये न जो तुम
कभी सुनने सुनाने
ख़ामोशी का दर्द
नासूर बन
जीवन भर सालता रहा
आये न जो तुम
कभी मरहम लगाने
मिला तुमसे ज़िन्दगी में
कभी दर्द तो
कभी अथाह प्रेम
आये न जो तुम
कभी जतलाने ।
बहुत अच्छी लगी.
वाह वाह ! बहुत खूब !!