गीत
इक तीर जिगर के पार गया,
दिल जीत गया, दिल हार गया,
हर काम से मन नाचार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…..
इक इश्क की बाज़ी हार आए,
इज़हार गया, इंकार गया,
जो वक्त गया बेकार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…..
जो बीत गयी, वो बात गयी,
हर वजह गयी, तकरार गया,
जो याद रहा वो मार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…..
इस वक्त कि अंधी ठोकर में,
दीवार गयी, हर यार गया,
जीवन का सब व्यापार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…..
दौलत की बहती नदिया में,
तहजीब गयी, व्यवहार गया,
हर रिश्ते का आधार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…..
जब वक्ते-आखिरत आ जाये,
हर दुआ गयी, उपचार गाया,
ऐ ‘होश’, ज़बर, लाचार गया।
इक तीर जिगर के पार गया…
बहुत शानदार ग़ज़ल !